Holi Date 2024 In India देखें क्षेत्र वाइज होली कब है

होली, रंगों का त्योहार, खुशियों और उल्लास का प्रतीक, साल 2024 में एक बार फिर हमारे जीवन को चमकीले रंगों से भरने के लिए तैयार है। क्या आप Holi Date 2024 जानने के लिए उत्सुक हैं? तब यह पोस्ट आपके लिए ही है! यहां हम न केवल आपको Holi kab hai बताएंगे, बल्कि इस त्योहार के पीछे के महत्व और भारत के विभिन्न क्षेत्रों जैसे Holi Date in Delhi, Utter Pradesh, Bihar, Rajastha, Gujarat, Mumbai, Punjab में कब मनाई जाएगी इसके बारे में भी बताएंगे।

इसके अतिरिक्त, आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि इस साल होली के दिन चंद्र ग्रहण का साया भी पड़ रहा है। हालांकि, चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा। तो, तैयार हो जाइए इस रंग-बिरंगे त्योहार के बारे में सब कुछ जानने के लिए! होली की शुभकामनाएं!

Holi Date 2024 In India में होली कब है

त्योहारों का देश भारत, हर साल रंगों के खूबसूरत त्योहार होली को हर्षोल्लास के साथ मनाता है. होली न सिर्फ रंगों का उत्सव है, बल्कि बुराई पर अच्छाई की विजय, फसल की ख़ुशी और नये जीवन की शुरुआत का भी प्रतीक है. आप जानने को उत्सुक हैं की 2024 Mein Holi kab hai, तो हम आपको बताते हैं की इस वर्ष होली का पर्व 25 मार्च, सोमवार को मनाया जाएगा

हालांकि, होली के ठीक एक दिन पहले यानी 24 मार्च, रविवार को होलिका दहन होता है, जिसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है. होलिका दहन की रात लोग अपने घरों के आसपास अलाव जलाते हैं।

इस बार होली के साथ एक दिलचस्प संयोग भी बन रहा है. 24 मार्च को पूर्णिमा की तिथि होने के कारण, होलिका दहन की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:19 बजे से रात 9:38 बजे तक रहेगा. वहीं, होली (धुलेंडी) के दिन पूर्णिमा तिथि का शुभ मुहूर्त 25 मार्च को सुबह 9:55 बजे से शुरू होकर 26 मार्च को दोपहर 12:30 बजे तक रहेगा.

Holi 2024 Date In Delhi, Utter Pradesh, Bihar, Rajastha, Gujarat, Mumbai, Punjab

Holi Date 2024 In India देखें क्षेत्र वाइज Holi Kab Hai. होली कब हैं
Holi Kab Hai

होली, रंगों का त्योहार, भारत के सबसे जीवंत और हर्षित उत्सवों में से एक है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम और उल्लास की भावना और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। होली के त्योहार की तारीखें हिंदू पंचांग पर आधारित होती हैं और हर साल बदलती रहती हैं। यहां दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, मुंबई और पंजाब में होली 2024 की तारीखों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:

  • दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान: इन राज्यों में मुख्य रूप से दो दिन होली मनाई जाती है। पहले दिन होलिका दहन होता है, जो बुराई के विनाश का प्रतीक है। दूसरे दिन, जिसे धुलंडी या रंगवाली होली के रूप में जाना जाता है, लोग रंगों और पानी से खेलते हुए जश्न मनाते हैं।
  • गुजरात: गुजरात में होलिका दहन के अगले दिन धूलिवंदन मनाया जाता है। इसे धुलेटी भी कहते हैं।
  • मुंबई (महाराष्ट्र): मुंबई में होली का मुख्य उत्सव रंग पंचमी के अवसर पर होता है, जो होलिका दहन के पांच दिन बाद आता है।
  • पंजाब: पंजाब में होली के उपलक्ष्य में एक अलग उत्सव मनाया जाता है जिसे होला मोहल्ला कहा जाता है। इसमें पारंपरिक उत्सव के साथ-साथ निहंग सिखों द्वारा मार्शल आर्ट का प्रदर्शन भी शामिल है।

रंगों वाली होली कब है?(Holi Kab Hai)

रंगों का त्यौहार होली, भारत का एक प्रमुख त्यौहार है जो वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह त्यौहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

2024 में, रंगों वाली होली 25 मार्च, सोमवार को खेली जाएगी।

होली का हिन्दू धर्म में महत्व

होली, रंगों का त्योहार, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे धुलंडी, फगुआ, और रंगोत्सव। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है, जब प्रकृति रंगों से खिल उठती है।

होली का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। यह त्योहार कई पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण कथाएं और धार्मिक मान्यताएं निम्नलिखित हैं:

1. भक्त प्रह्लाद और होलिका:

होली की सबसे प्रचलित कथा भक्त प्रह्लाद और होलिका की है। हिरण्यकश्यपु नाम का एक राक्षस राजा था, जो अपनी शक्ति और अहंकार में इतना चूर था कि वह खुद को भगवान समझने लगा था। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को कई बार मारने का प्रयास किया, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की। अंत में, उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती। लेकिन जब वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठी, तो वरदान उल्टा हो गया और होलिका जल गई, जबकि प्रह्लाद बाल-बाल बच गया।

2. कामदेव का दहन:

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, होली भगवान शिव और कामदेव से जुड़ी है। भगवान शिव ध्यान में लीन थे, और कामदेव ने उन्हें मोहित करने के लिए अपने बाण चलाए। इससे भगवान शिव का ध्यान भंग हुआ और उन्होंने क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया। बाद में, पार्वती के अनुरोध पर, भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित किया।

3. राधा-कृष्ण और रंगों का खेल:

वृंदावन में, भगवान कृष्ण और राधा, गोपियों के साथ रंगों का खेल खेलते थे। यह त्योहार प्रेम, उल्लास और भक्ति का प्रतीक है।

4. बुराई पर अच्छाई की जीत:

होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हमें हमेशा बुराई का विरोध करना चाहिए और अच्छाई का साथ देना चाहिए।

5. सामाजिक समरसता:

होली सामाजिक समरसता का त्योहार है। इस दिन, सभी लोग जाति, धर्म, और लिंग के भेदभाव को भुलाकर एक दूसरे के साथ रंग खेलते हैं।